आयुर्वेद अनुसार गौ दुग्ध पीने की विधि:
"बच्चे ,बूढ़े , और जवान
सभी करें गौ दूध का पान"
0-5 वर्ष के बच्चों के लिए
जब भी भूख लगे तब हल्का गुनगुना करके पीना अच्छा। प्लास्टिक बोतल में कभी ना पिलाएं ,उसके स्थान पर कांच की बोतल से पिला सकते हैं ।
बूस्ट, बॉर्नविटा, powervita, आदि माल्टेड पदार्थ शुद्ध दूध में ना डालें । ये आँतों में चिपक कर बच्चों को कॉन्स्टिपेशन करते हैं और अमृत के गुणों को कम करते हैं।
दूध में चीनी कभी भी ना डालें। शुद्ध दूध एल्कलाइन होता है और चीनी एसिडिक जिससे दूध अपनी अल्कानिटी खो देता है। एल्कलाइन दूध पेट की एसिडिटी को समाप्त करता है।
5- 14 वर्ष
ब्रेकफास्ट के समय दूध ना पिलाएं । स्कूल से आने के बाद , शाम को और सोने से पहले पीना अच्छा।
14 वर्ष से ऊपर सभी लोग
रात्रि में सोने से पहले सिर्फ एक बार.
नोट: उपरोक्त विधि से पीने से गौ दुग्ध के समस्त लाभ मिलते हैं।
सुबह से दोपहर तक : देशी गौ माँ के दूध से बना दही और छाछ पीये, क्यूंकि सुबह ही शारीर में दही और छाछ को पचाने के एंजाइम बनते हैं।
रात्री: सूर्यास्त के बाद रात्री में दूध पीये क्यूंकि रात में ही दूध पचाने के एंजाइम बनते हैं।।